Suhani Singh

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दिल की धड़कन में चाहत के फूल खिलाऊँ कैसे, सुहानी सिंह।


दिल की धड़कन में चाहत के फूल खिलाऊँ कैसे।
एक मुद्दत से उजड़े चमन में बाहर लाऊँ कैसे।।
दिल के अहसास को जुबां पे लाऊँ कैसे।
दिल मे आरजू के दिये जलाऊँ कैसे ।।
दिल की धड़कन में चाहत के फूल खिलाऊँ कैसे।
एक मुद्दत से उजड़े चमन में बहार लाऊं कैसे।।
इस जहां के दस्तूर निभाऊं कैसे।
दर्दे दिल से राहत पाऊं कैसे।।
दिल की कश्ती को किनारे पे लगाऊं कैसे।
फिर कोई हसीन खवाब सजाऊँ कैसे।।
दिल की धड़कन में चाहत के फूल खिलाऊँ कैसे।
एक मुद्दत से उजड़े चमन में बहार लाऊँ कैसे।।
By Suhani Singh

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