जैसे समुंदर मैं सीप के मोती,
कभी खत्म नहीं होते।
वैसे आलोचकों की किताब के पन्ने,
कभी खत्म नहीं होते।
जरा सा मौका मिलते ही करते,
आलोचना की बौछार हैं।
तू आगे मैं पीछे पीछे,
इनके रिश्ते की दरकार है।
नेताओं के मायाजाल मै,
उलझे लोगों की भरमार है।
चुनाब पास आतेही,
नेताओं और पार्टियों के वादों की,
हो रही भरमार है।
By Suhani Singh
कभी खत्म नहीं होते।
वैसे आलोचकों की किताब के पन्ने,
कभी खत्म नहीं होते।
जरा सा मौका मिलते ही करते,
आलोचना की बौछार हैं।
तू आगे मैं पीछे पीछे,
इनके रिश्ते की दरकार है।
नेताओं के मायाजाल मै,
उलझे लोगों की भरमार है।
चुनाब पास आतेही,
नेताओं और पार्टियों के वादों की,
हो रही भरमार है।
By Suhani Singh
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