चाहत की मधुशाला में,
यूँ तो दर्दे गम के प्याले हैं।
दिल के भँबर की इस महफ़िल के,
होते लोग दीवाने हैं।
जो राह मिले तो खुशनुमा है सफ़र,
नहीं तो बन जाते अफ़साने हैं।
इसकी मंजिल के सफ़र,
होते अकसर वीराने हैं।
बेगानी सी इस महफ़िल के,
होते कितने ही परवाने हैं।
By Suhani Singh
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