Suhani Singh

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कभी धूप तो कभी छाँव सी है जिंदगी। Suhani Singh

कभी धूप तो कभी छाँव भी है जिंदगी।
कभी दर्द तो कभी ख़ुशी का राग भी है जिंदगी।
कभी कोई राज तो कभी खुली किताब सी है जिंदगी।
कभी समुन्दर तो कभी रेगिस्तान सी है जिंदगी।
कभी पतझड़ तो कभी सावन की बहार भी है जिंदगी।
गम के तूफानों मैं एक मज़ार सी है जिंदगी।
जीत के मुक़ाम पर बहार सी है जिंदगी।
By Suhani Singh

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