मेरे दिल की चाहतों को आसमाँ से तुम मिले।
ग़म के अँधेरों में रौशनी बनके तुम मिले।।
दर्दे दिल के ज़ख्मों को मरहमों से तुम मिले।
दर्द की बारिशों में राहतों से तुम मिले।।
मेरे दिल की चाहतों को आसमां से तुम मिले।
गम के अँधेरों में रौशनी बनके तुम मिले।।
निराशाओं के दौर में आस बनके तुम मिले।
गम की तन्हाइयों में गीत गुनगुनाते तुम मिले।।
गम में डूबी रातोँ में झिलमिलाते तुम मिले।
मंजिलों की राह पे हसरतों के पर खिले।।
मेरे दिल की चाहतों को आसमां से तुम मिले।
गम के अँधेरों में रौशनी बनके तुम मिले।।
जिंदगी की ढोकरों में हाथ थामे तुम मिले।
तड़फते दिल की घुटन में, राहत बनके तुम मिले।।
बोझिल सी साँसों को रहनुमा से तुम मिले।
मंजिलो की राह पे गुलाब बनके तुम खिले।।
मेरे दिल की चाहतों को आसमां से तुम मिले।
गम के अँधेरों में रौशनी बनके तुम मिले।।
by Suhani singh
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