Suhani Singh

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Dil ki kitaab par khwahishon ke par khile! Suhani singh








दिल की किताब पर,ख्वाहिशों के पर खिले।
रात की चादर तले,चाँदनी है गा रही।
गीत ये सुना रही,तारों के आंचल तले।
दिल की किताब पर,ख्वाहिशों के पर खिले।
जिंदगी संबर रही,हसरतें हैं पल रहीं।
धड़कनें भी गा रहीं,राग ये सुना रहीं।
दिल की किताब पर,ख्वाहिशों के पर खिले।
साँसों की सरगम तले, प्यार के दो पल मिले।
शाम को जब दिन ढले,सजनी को साजन मिले।
दिल की किताब पर, ख्वाहिशों के पर खिले।
जिस डगर पे तू चले,उस डगर पे मैं चलूँ।
तेरी राह से मैं आस के मोती चुनूँ।
मेरे दिल की चाँदनी को,झिलमिलाते तुम मिले।
दिल की धड़कनों में जैसे,प्यार के कँवल खिले।
दिल की किताब पर,ख्वाहिशों के पर खिले।
फूल मुस्कुरा रहे,हँस के खिल के गा रहे।
रौनकें हैं छा रही,आरजू बुला रही।
धड़कनों की सरगमों पे प्यार के कँवल खिले।
दिल की किताब पर,ख्वाहिशों के पर खिले।
By Suhani singh

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