जब जब चुनाब करीब आते हैं।
नेता ऐसे हथकंडे अपनाते हैं।
बॉडर पर बीरों का लहू बहाकर,
ये घड़ियाली आंसू बहाते हैं।
कुछ इधर से मारे जाते हैं,
कुछ उधर से मारे जाते हैं।
इंसानियत का लहू ये,
चारों तरफ बहाते हैं।
कभी कारगिल,कभी मुबई बम विस्फोट,
जैसे मुद्दे गरमा दिए जाते हैं।
गद्दी पाने की खातिर ये,
क्या क्या ढोंग रचाते हैं।
हर बार वोट देकर इनको,
हर बार हम ठगे जाते हैं।
हम वहीं खड़े रह जाते हैं।
ये अपना स्वर्ग रचाते हैं।
By Suhani Singh
नेता ऐसे हथकंडे अपनाते हैं।
बॉडर पर बीरों का लहू बहाकर,
ये घड़ियाली आंसू बहाते हैं।
कुछ इधर से मारे जाते हैं,
कुछ उधर से मारे जाते हैं।
इंसानियत का लहू ये,
चारों तरफ बहाते हैं।
कभी कारगिल,कभी मुबई बम विस्फोट,
जैसे मुद्दे गरमा दिए जाते हैं।
गद्दी पाने की खातिर ये,
क्या क्या ढोंग रचाते हैं।
हर बार वोट देकर इनको,
हर बार हम ठगे जाते हैं।
हम वहीं खड़े रह जाते हैं।
ये अपना स्वर्ग रचाते हैं।
By Suhani Singh
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