Suhani Singh

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भीगी हुई रातोँ में गम की तनहाइयाँ हैं।Suhani Singh

भीगी हुई रातों में,
गम की तनहाइयाँ हैं।
बोझिल सी साँसों में,
 बसती तनहाइयाँ हैं।
प्यार की डगर की,
 ये कैसी रुसवाईयाँ हैं।
By Suhani Singh

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